Saturday 15 August 2020

पहली मुलाकात

 पहली मुलाक़ात

अनजाने में कुछ यूं टकराए,

किताबे भी हमसे दूर गई।

दो मासूम दिलो की ऐसी,

वो पहली मुलाक़ात हुई।।


सॉरी जो हमने बोला तो,

एक ओर सॉरी की आवाज हुई।

किताबो को समेटने की, 

मुस्कराकर फिर शुरूआत हुई।।


 उन लम्हों को हम समेट रहे ,

किताब समेटने की आड़ में।

दिल  समेटने की फिर भी,

हर कोशिश  बेकार हुई।।


किताबें समेटकर तुम उठे

पर खुद को ना यूं समेट सके।

शरमाती हुई नज़रों से फिर

एक और मिलन की चाहत हुई।।


दो मासूम दिलो की ऐसी, 

वो पहली मुलाक़ात हुई।।

   AK

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