Saturday 15 August 2020

पहली मुलाकात

 पहली मुलाक़ात

अनजाने में कुछ यूं टकराए,

किताबे भी हमसे दूर गई।

दो मासूम दिलो की ऐसी,

वो पहली मुलाक़ात हुई।।


सॉरी जो हमने बोला तो,

एक ओर सॉरी की आवाज हुई।

किताबो को समेटने की, 

मुस्कराकर फिर शुरूआत हुई।।


 उन लम्हों को हम समेट रहे ,

किताब समेटने की आड़ में।

दिल  समेटने की फिर भी,

हर कोशिश  बेकार हुई।।


किताबें समेटकर तुम उठे

पर खुद को ना यूं समेट सके।

शरमाती हुई नज़रों से फिर

एक और मिलन की चाहत हुई।।


दो मासूम दिलो की ऐसी, 

वो पहली मुलाक़ात हुई।।

   AK

कॉलेज का वक़्त

 वो वक़्त जब कॉलेज में थे,

तुम मिलने आया करते थे।

कहते थे बस दोस्त रहेंगे,

कॉफी साथ पिया करते थे।


कहते थे तुम प्यार मत करना

बातें रातभर किया करते थे।

दोस्तों को अक्सर छोड अकेले

दूर  निकल जाया करते थे।


क्या था ये रिश्ता हमारा

ना नाम बताया करते थे,

हॉस्टल से निकल फिर भी 

हम शाम बिताया करते थे।


वक़्त बीता, तो हम पर तुम

 अपना हक जताया करते थे,

वो वक़्त जब कॉलेज में थे

तुम मिलने आया करते थे।

     अनुज कौशिक

अधूरा प्यार

 अधूरा प्यार

प्यार कहां किसी का पूरा होता है

प्यार का पहला अक्षर ही अधूरा होता है !

कितना मचलता है दिल

जब मौसम सुहाना होता है।

खयाल जब कोई सताता है,

भरी महफिल में इंसान अकेला होता है।

रोता है दिल बहुत मगर

होठों पे हंसी का पैमाना होता है।

कुछ यूं इश्क़ का फसाना होता है

भरी आंखों से जाम झलकाना होता है।

मरते हैं इश्क़ में आशिक़

और बदनाम मयखाना होता है।

अनुज कौशिक

23नवंबर

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